Bandar Aur Magarmach Panchatantra Stories


बन्दर और मगरमछ की कहानी से प्रेरणादायक सीख...

दोस्तों ये कहानी है एक बन्दर और मगरमछ की तो बात ये है कि एक नदी के किनारे एक सेब का पेड़ था उस पेड़ पे एक प्यारा सा बन्दर रहता था बन्दर मजे से सेब खाता और पुरे दिन मस्ती में रहता और ऐसे ही अपना जीवन बिता रहा था लेकिन एक दिन वहां एक मगरमछ आता और सेब के पेड़ की छावो में आराम करने लगा फिर जैसा कि आपको पता है बन्दर nature से मस्तीखोर होते है तो बन्दर सेब तोड़ के मगरमछ पे फेकने लगा पर मगरमछ डरा नहीं वह उन सेबों को पकड़ के खाने लगा जैसे ही मगरमछ वह सेब खाता है तो उसे सेब बहुत पसंद आते है


मगरमछ सोचता है क्यों न बन्दर से दोस्ती की जाये ताकि ये मुझे रोज सेब खिलाये और मै रोज मीठे सेबों का मजा ले सकू मगरमछ तुरंत बन्दर से कहता है अरे वो बन्दर क्या तुम मुझे अपना दोस्त बनाओगे बन्दर बिना सोचे समझे कहता है क्यों नि भाई बिलकुल बनाऊंगा फिर मगरमछ कहता है अगर मै रोज आऊं तो क्या तुम मुझे रोज सेब खिलाओगे बन्दर तुरंत कहता है क्यों नि मेरे भाई इसमें मेरा क्या जाता है तुम रोज आवो मै तुम्हे रोज सेब खिलाऊंगा और वैसे भी मुझे सेब तोड़ने में बड़ा मजा आता है

फिर मगरमछ रोज उस पेड़ पे आने लगा बन्दर से बातें करता और सेब खाता और वापस चला जाता फिर कुछ दिन बाद मगरमच को एक मादा मगरमछ मिलती वो उस से शादी कर लेता फिर जब मगरमछ शादी करके वापस पेड़ के पास आता तो मगरमछ सोचता क्यों न अपनी पत्नी के लिए भी कुछ सेब ले जाऊं उसे भी सेब खाने में बड़ा मजा आएगा और जब मगरमछ घर की और गया तो कुछ सेब अपनी पत्नी के लिए भी ले गया उसकी पत्नी ने जब वह सेब खाये तो बोली अरे वा ये सेब तो बड़े मीठे है ये बताओ तुम्हे ये दिए किसने क्या तुम मेरे लिए कुछ और ला सकते हो.

"मगरमछ बोला हे पगली बन्दर दोस्त मेरा असली जितना चाहूँ ला सकता हूँ और तुम्हे खिला सकता हूँ"

मगरमछ अब रोज अपनी पत्नी के लिए सेब लाने लगा वो रोज बन्दर के पास जाता बन्दर उसे सेब तोड़के फेकता कुछ वो खाता और कुछ पत्नी के लिए घर ले आता और अपनी पत्नी को खिलाता फिर एक दिन हुआ यू कि अचानक मगरमछ की पत्नी की तबियत ख़राब हो जाती है मगरमछ अपनी पत्नी से पूछता अरे क्या हुआ तुम्हार ऐसा हाल क्यों हुआ बुखार तो नहीं है ना पत्नी बोली मै मर सकती हूँ मै बैध के पास गयी बैध ने बोला अगर तुम बन्दर का दिल खा लोगी तो बच जाओगी वरना तुम्हारा बचना नामुमकिन है

मगरमछ काफी परेशान हुआ कि अब पत्नी को कैसे बचाऊं कैसे मै बन्दर का दिल लाऊँ मगरमछ बिना सोचे समझे तुरंत बन्दर के पास पहुँचता है और बन्दर से कहता अरे मेरे दोस्त तुम्हारे दिए सेब खा के मेरी पत्नी काफी परसन्न हुयी और तुम्हे घर पे बुलाया है दावत के लिए क्या तुम चलोगे मेरे साथ और इसी बहाने तुम मेरी पत्नी से भी मिल लोगे बन्दर बोलता क्यों नहीं मेरे दोस्त आखिर तुम दोस्त हो मेरे बिलकुल चलूँगा और बन्दर मगरमछ की पीठ पर बैठ के मगरमछ के घर के और निकल जाता है

धीरे धीरे जब मगरमछ नदी की गहराई में पहुँचता है तो जोर जोर से हिलने लगता है बन्दर घबरा जाता और कहता अरे मेरे दोस्त थोड़ा धीरे चलो भाई मर जाऊंगा यार कहाँ की जल्दी है मगरमछ कहता वही तो मै चाहता हूँ तुम्हे मारकर तुम्हारा दिल अपनी पत्नी को दूंगा जिसे खा कर वह ठीक हो जाएगी बन्दर कहता अरे मेरे दोस्त बस इतनी सी बात के लिए तुम इतना क्यों परेशान होते हो मुझे अगर पहले बताते तो मै खुद आता तुम्हे दिल देने इसमें घबराने वाली क्या बात है परन्तु एक problem है दिल तो पेड़ पे ही रह गया तुम एक काम करो जल्दी से वापस चलो मै दिल लेकर तुरंत आता हूँ.

जैसे ही मगरमछ पेड़ के पास पहुँचता है बन्दर तुरंत पेड़ पर चढ़ जाता है फिर मगरमछ कहता है अरे भाई क्या हुआ इतना समय क्यों लगा रहे हो तुम्हारी भाबी बीमार है दिल ले आवो यार बन्दर कहता जाओ मूरख अब भी नहीं समझे तुम महा मुर्ख हो जो मुझे वापस ले आये और आज से तुम्हारी और मेरी दोस्ती भी ख़तम.

"तो दोस्तों हमें इस कहानी से क्या सीख मिलती है हमें सीख मिलती है कि मुसीबत के क्षणों में धैर्य नहीं खोना चाहिए और अपने दोस्तों का सम्मान करना चाहिए उनके साथ छल व धोखा नहीं करना चाहिए और कभी भी किसी भी problem से घबराना नहीं चाहिए बल्कि थोड़ा सा सोच के शांति से problem का solution निकलना चहिये थोड़ी सी समझदारी दिखानी चाहिए."

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